Hanuman ji ke 12 naam – हनुमानजी के 12 नाम कौन कौन है ?

Hanuman ji ke 12 naam :- हनुमान जी को उनके भक्त कई अलग अलग नामों से पुकारते हैं। हनुमान जी के हर नाम के पीछे एक  अनूठी कथा है।

ऐसा कहते हैं, कि हनुमान जी कलयुग में भी जीवित है। भारत में हनुमान जी के अनगिनत भक्त है परंतु यह सभी Hanuman ji ke 12 naam नाम से वाकिफ नहीं है।

अगर आप भी Hanuman ji ke 12 naam जानना चाहते हैं, तो इस ब्लॉग एक में दी गई जानकारी को आखिर तक जरूर पढ़ें। पवन पुत्र हनुमान के 12 नाम के साथ-साथ आप हर नाम से जुड़ा मंत्र भी इस लेख में जान पाएंगे।


हनुमान जी के 12 नाम ( Hanuman ji ke 12 naam )

हनुमान जी के इन 12 नामों की न सिर्फ एक रोचक कथा है बल्कि हर एक नाम से जुड़ा एक विशेष मंत्र भी है जिसे हर रोज जपने से व्यक्ति के सारे काम बिना किसी विघ्न के पूर्ण हो जाते हैं और उसके जीवन में सफलता एवम शुभता का आगमन होता है।

  1. हनुमान

मंत्र – ॐ श्री हनुमते नमः।

कथा – एक बार जब हनुमान जी बाल्य अवस्था में सूर्य देव को फल समझकर खाने के लिए उनकी तरफ बढ़ने लगे, तब इंद्र देवता ने हनुमान जी को रोकने के लिए अपने वज्र से उन पर प्रहार कर दिया था और व्रज के प्रहार के कारण उनकी ठुड्डी टेड़ी हो गई थी। ठुड्डी को हनु भी कहा जाता है। तभी से इनका नाम हनुमान पड़ गया।

  1. सीताशोकविनाशनाय

मंत्र – ॐ सीताशोकविनाशनाय नमः।

कथा – हनुमान जी का यह नाम पड़ने की एक रोचक कथा यह है कि जब समुद्र को पार कर के हनुमान जी माता सीता के पास पहुंचे थे तब उन्होंने अपने शरीर का छोटा सा आकार बना कर पेड़ की आड़ में खुद को छिपा लिया था।

उन्होंने माता सीता को श्री राम से बिछड़ने के शोक से पीड़ित देखा। जब माता सीता के पास कोई भी रावण के रक्षाओं में से नहीं था तब समय का उचित लाभ उठाते हुए उन्होंने माता सीता को अपना परिचय दिया और खुद को राम दूत बताया जिसके बाद माता सीता का सारा शोक व गहरी पीड़ा दूर हो गया। इसी वजह से हनुमान जी को सीताशोकविनाशन कहा जाने लगा।

  1. लक्ष्मण प्राणदाता

मंत्र – ॐ लक्ष्मणप्राणदात्रे नमः।

कथा – रामायण के एक भाग में इस घटना का वर्णन मिलता है कि लक्ष्मण जी और मेघनाथ के युद्ध में जब मेघनाथ ने छल से लक्ष्मण जी को चोट पहुंचाकर मूर्छित कर दिया था, तब हनुमान जी उनकी प्राणो की रक्षा के लिए संजीवनी बूटी लेकर आए थे जिससे लक्ष्मण जी की जान बचना संभव हो पाया था। तभी से हनुमान जी को लक्ष्मण प्राणदाता के नाम से जाना जाता है।

  1. दशग्रीवदर्पहा

मंत्र – ॐ दशग्रीवस्य दर्पाय नमः।

कथा – दशग्रीव का मतलब है – रावण और दर्पहा का अर्थ है – घमंड तोड़ने वाला। ये तो सारा जग जानता है कि महाबली हनुमान ने किस प्रकार अनेकों बार रावण के अहंकार को चूर चूर किया था। इसी कारण से उनका एक नाम दशग्रीवदर्पहा भी पड़ा।

  1. अंजनीसुत

मंत्र – ॐ अञ्जनी सुताय नमः।

कथा – हनुमान जी का जन्म कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के प्रदोषकाल में हुआ था। इसी कारण से वह अंजनीसुत कहलाते हैं।

  1. वायुपुत्र

मंत्र – ॐ वायुपुत्राय नमः।

कथा – हनुमान जी का जन्म वायु देव के आशीर्वाद से हुआ था और पवन देव उनके मानस पुत्र भी हैं। इसलिए हनुमान जी को वायुपुत्र या पवन पुत्र के नाम से भी जाना जाता है।

  1. महाबल

मंत्र – ॐ महाबलाय नमः।

कथा – हनुमान जी बहुत बलशाली हैं। ऐसा माना जाता है कि बालि, रावण, भीम, एरावत, इंद्र आदि सभी का बल मिलाया जाए तो भी भी हनुमान जी के बल से इनकी तुलना नहीं की जा सकती। हनुमान जी के बल के कारण ही सोने की लंका क्षण भर में ही राख का ढेर बन गई थी। और इसी वजह से हनुमान जी को महाबली भी कहा जाता है।

  1. रामेष्ट

मंत्र – ॐ रामेष्ठाय नमः।

कथा – हनुमान जी भगवान श्री राम अनन्य भक्त है। वे राम जी के प्रिय माने जाते हैं। उनके रोम रोम में राम ही राम बसे हैं और हम भी यह जानते हैं कि राम काज में हनुमान जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा था। इसी वजह से उनका एक नाम रामेष्ट भी पड़ा है।

  1. फाल्गुनसखा

मंत्र – ॐ फाल्गुण सखाय नमः।

कथा – हनुमान जी को अर्जुन का मित्र भी माना जाता है और इसके पीछे का तर्क यह है कि फाल्गुन का अर्थ अर्जुन होता है और सखा का अर्थ मित्र होता है यानी कि वह जो अर्जुन के मित्र हैं। इसके अलावा, भगवद गीता और महाभारत दोनों ग्रंथों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि हनुमान जी ने महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन के रथ पर स्थापित होकर उनकी हर क्षण रक्षा की थी।

  1. पिंगाक्ष

मंत्र – ॐ पिंगाक्षाय नमः।

कथा – पिंगाक्ष का अर्थ होता है, आंखों में हल्के पीले और लाल रंग की परत बनना। रामायण ग्रंथ में हनुमान जी के नेत्रों में भी ऐसी परत बनने का उल्लेख मिलता है। इस कारण से हनुमान जी का एक नाम पिंगाक्ष भी पड़ा है।

  1. अमितविक्रम

मंत्र – ॐ अमितविक्रमाय नमः।

कथा – हनुमान जी को अमितविक्रम के नाम से भी जाना जाता है। अमित का अर्थ अधिक होता है और विक्रम का अर्थ पराक्रमी होता है। हनुमान जी को भगवान शिव अवतार माने जाते हैं। ऐसे में उनके अंदर बहुत ज्यादा अधिक बल होना स्वाभाविक है। हनुमान जी ने अपने बल से अचंभित कर देने वाले कार्य किये हैं।

  1. उदधिक्रमण

मंत्र – ॐ उदधिक्रमणाय नमः।

कथा – उदधिक्रमण का अर्थ होता है समुद्र को लांघने वाला। हनुमान जी जब सीता माता की खोज में निकले तो वह समुद्र को लांघ कर ही लंका पहुँचे थे, इसलिए इनका एक नाम उदधिक्रमण भी है।


हनुमान जी के 12 नाम जपने से क्या होता है ?

ऐसा कहते हैं, कि हनुमान जी के 12 नाम जपने से उनके भक्त के जीवन से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। उनके भक्त की उम्र बढ़ती है और उसे संसार के सभी सुख प्राप्त होते हैं।


निष्कर्ष :-

दोस्तों, आपने इस लेख के माध्यम से Hanuman ji ke 12 naam के बारे में जाना है। हम उम्मीद करते हैं कि पवन पुत्र हनुमान से संबंधित दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी।

हनुमान जी के लिए कहा जाता है कि यह कलयुग में भी मौजूद है। इस लेख को शेयर करें और अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं ताकि हिंदू वर्ग के लोग पवन पुत्र की महिमा को जान पाये।

इस लेख से संबंधित कोई भी प्रश्न आपके मन में है या आप हमें कोई सुझाव देना चाहते हैं, तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।


FAQ’s :-

Q1. हनुमान जी के 12 शक्तिशाली नाम क्या है ?

Ans. हनुमान, अंजनीसुत, वायुपुत्र, महाबल, रामेष्ट, फाल्गुनसखा, पिंगाक्ष, अमितविक्रम, 
उदधिक्रमण, सीतोशोकविनाशन, लक्ष्मणप्राणदाता, दशग्रीवदर्पहा।

Q2. हनुमान जी का असली नाम क्या है ?

Ans. हनुमान जी के जन्म के समय उनका नाम मारुति रखा गया था। और यही उनका 
असली नाम माना जाता है।

Q3. हनुमान जी के 12 नाम कितनी बार लेने चाहिए ?

Ans. हनुमान जी के 12 नाम का उच्चारण एक साथ 11 बार करना चाहिए।

Q4. हनुमान जी का सबसे शक्तिशाली मंत्र कौन सा माना जाता है ?

Ans. ॐ हं हनुमते नमः

Q5. हनुमान जी की स्तुति कैसे करनी चाहिए ?

Ans. आप हनुमान जी के 12 नाम का जाप करके या हनुमान चालीसा पढ़कर हनुमान 
जी की स्तुति कर सकते है।

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