Ramayan ke lekhak kaun hai :- रामायण हिंदुओं की एक धार्मिक पुस्तक है। यह सनातन संस्कृति के सबसे प्रसिद्ध ग्रंथो में से एक है। रामायण में राम – लक्ष्मण – सीता के बारे में लिखा गया है। इसमें राम जी की जीवन गाथा लिखी गई है पर क्या आप जानते है, कि Ramayan ke lekhak kaun hai ?
वैसे तो रामायण का पाठ छोटी कक्षा में पढ़ाया जाता है और शायद आप सभी जानते भी होंगे की रामायण को किसने लिखा है, परंतु जो लोग नही जानते हैं उनके लिए हम आज के इस लेख में बताएंगे कि Ramayan ke lekhak kaun hai? तो इस लेख मे दी गई जानकारी को आखिर तक जरूर पढ़ें।
रामायण के लेखक कौन है ? – Ramayan ke lekhak kaun hai ?
रामायण के लेखक महर्षि वाल्मीकि है। इन्होंने संपूर्ण रामायण को लिखा है। महर्षि वाल्मीकि द्वारा यह महाकाव्य संस्कृत में लिखा गया है। रामायण के रचयिता वाल्मीकि को आदिकवि भी कहा जाता है। इन्होंने रामायण कथा को लव कुश के द्वारा जनता में पहुंचाया था।
रामायण क्या है ?
रामायण एक धार्मिक कथा है। रामायण में कुल सात अध्याय हैं जिन्हें कांड के नाम से जाना जाता है। इस में कुल 24000 श्लोक हैं।
इस कथा के अनुसार राम, लक्ष्मण, भारत और शत्रुघ्न चार भाई थे जिनका विवाह जनकपुर की राजकुमारीयां से हुआ था। इसके बाद राम जी को 14 वर्ष का वनवास मिला और उनके साथ वनवास में उनके भाई लक्ष्मण और उनकी पत्नी सीता भी गए।
वनवास के दौरान सीता माता हरण रावण ने कर लिया जिसके कारण राम और रावण का भीषण युद्ध हुआ। उस युद्ध में रावण मारा गया। ऐसे कहा जाता है कि भगवान विष्णु के द्वारा रामायण पहले ही रच दी गई थी।
रामायण का अर्थ क्या है ?
रामायण शब्द संस्कृत के रामायणम् से बना है। रामायणम् दो शब्दों से मिलकर बना है राम + आयणम्, जिसका शाब्दिक अर्थ “राम की जीवन यात्रा” है।
रामायण का रचनाकाल
मान्यताओं के अनुसार रामायण की रचना त्रेता युग में की गई है। आधुनिक विद्वान रामायण का रचनाकाल 7 से 8 शताब्दी ईसा पूर्व का मानते हैं। वहीं कुछ विद्वान है इसकी रचना तीसरी शताब्दी की मानते हैं।
रामायण कथा का संक्षेप में वर्णन
भगवान राम, विष्णु जी के मानव अवतार थे। इस अवतार का मुख्य उद्देश्य मृत्यु लोक में मानव को आदर्श जीवन जीने के लिए एक मार्गदर्शन देना था, जिसमें श्री राम ने राक्षसों के राजा रावण को मारा और धर्म की पुनर्स्थापना की।
रामायण में सात कांड है :-
- बालकांड
- अयोध्या कांड
- अरण्यकांड
- सुंदरकांड
- किष्किंधा कांड
- लंका कांड
- उत्तर कांड
- बाल्य कांड
अयोध्या नगरी के राजा दशरथ थे जिनकी तीन पत्नियां कौशल्या, कैकई और सुमित्रा थी। उन्होंने संतान प्राप्ति के लिए पुत्र कमेष्ठी यज्ञ करवाया। इस यज्ञ से प्रसन्न होकर अग्नि देव प्रकट हुए और उन्होंने राजा दशरथ को खीर पायन दिया, जिसे उन्होंने अपने तीनों पत्नियों में बांट दिया।
इसके सेवन के बाद कौशल्या के गर्भ से राम का, कैकई के गर्भ से भारत का और सुमित्रा के गर्भ से शत्रुघ्न और लक्ष्मण का जन्म हुआ। जब यह राजकुमार बड़े हो गए तो आश्रम की रक्षा करने के लिए ऋषि विश्वामित्र राम और लक्ष्मण को राजा दशरथ से मांग कर अपने साथ ले गए।
राम ने ताड़का और मारीच जैसे राक्षसों को से ऋषियों की रक्षा की और लक्ष्मण ने उनकी सारी सेवा का संहार किया। धनुष यज्ञ का निमंत्रण मिलने पर विश्वामित्र राम और लक्ष्मण के साथ राजा जनक की नगरी आ गए। रास्ते में राम ने गौतम मुनि की पत्नी अहिल्या का उधर भी किया।
जनकपुरी (मिथिला) में आकर जब राम ने शिव धनुष को तोड़ने के लिए उठाने की कोशिश की तो वह बीच से टूट गया और इसके बाद राजा जनक की पुत्री सीता का विवाह राम से हो गया। इसके साथ ही गुरु वशिष्ठ ने भरत का मांडवी से, शत्रुघ्न का श्रुतिकृति से और लक्ष्मण का विवाह उर्मिला से करवा दिया।
- अयोध्या कांड
राम के विवाह के कुछ समय बाद राजा दशरथ ने राम का राज्याभिषेक करना चाहा, परंतु कैकई की दासी मंत्र ने कैकई की बुद्धि को फेर दिया और उससे कहा कि अपने बेटे भरत को अयोध्या का राजा बनवाओ और राम को 14 वर्ष के वनवास के लिए भेज दो और ऐसा ही हुआ।
राम को 14 वर्ष का वनवास मिला और राम के साथ लक्ष्मण और सीता भी वन चले गए। पुत्र के वियोग के कारण राजा दशरथ का स्वर्गवास हो गया। इसके पश्चात भरत राम को अयोध्या वापस लाने के लिए उनके पास चले गए, परंतु राम ने पिता की आज्ञा का पालन करने के लिए वापस आने से मना कर दिया।
भरत, राम की पादुका अपने साथ अयोध्या लाये और राज सिंहासन पर उन्हें विराजित कर दिया और खुद वह नंदीग्राम में निवास करने लगे।
- अरण्य कांड
इस कांड में भगवान राम का चित्रकूट से निकलकर पंचवटी में निवास करने के बीच का वर्णन किया गया है। इसमें मुख्य रूप से स्वर्ण मृग मारीच और सीता हरण के बारे में बताया गया है। इस कांड में राम जी का सीता की खोज में निकलने के बारे में वर्णन किया गया है।
- किष्किंधा कांड
इस कांड में भगवान राम की मित्रता सुग्रीव से होती है। सुग्रीव राम को बलि के द्वारा अपने ऊपर किए जाने वाले अत्याचार के बारे में बताता है जिसके बाद राम बाली का वध करके किष्किंधा राज्य का राजा सुग्रीव को बनाता है और बाली के पुत्र को युवराज का पद दे दिया जाता है।
इसके बाद वह सीता माता की खोज में आगे बढ़ते हैं जहां पर समुद्र तट पर उनकी भेंट सामपती से होती है। सामपती बताता है की माता सीता को रावण ने लंका अशोक वाटिका में रखा है। इसके बाद जामवंत हनुमान जी को समुद्र को लांघने के लिए प्रोत्साहित करता है।
- सुंदरकांड
सुंदरकांड में बताया गया है कि हनुमान जी लंका पहुंचे और वहां उन्होंने माता सीता से भेंट की। जब उन्हें रावण के पुत्र मेघनाथ नागपास में बांधकर रावण की सभा में ले गए, तो वहां पर हनुमान जी का ने अपना परिचय राम के दूत के रूप में दिया।
रावण ने हनुमान जी की पूंछ को तेल में डुबाया और उसमें आग लगा दी। इसके बाद हनुमान जी ने लंका का दहन कर दिया। हनुमान जी जब माता-पिता से मिले तो उन्होंने राम की मुद्रिका माता सीता को दी और माता सीता ने अपनी चूड़ामणि देखकर उन्हें विदा किया।
समुद्र को लाँघकर हनुमान जी वापस श्री राम के पास पहुंचे। वही लंका में जब रावण के भाई भी भीषण ने रावण को समझाने की कोशिश की तो उसने विभीषण को लंका से निकाल दिया और विभीषण भी राम की शरण में पहुंच गए।
फिर राम ने समुद्र से लंका जाने का रास्ता देने के लिए विनती की। विनती ना मानने पर राम ने क्रोध वश समुद्र पर बाण चलाने के लिए उठाया तो समुद्र ने डर कर नल और नील के द्वारा पुल बनाने का उपाय बताए।
- लंका कांड
इस कांड में युद्ध का वर्णन किया गया है। मेघनाथ और लक्ष्मण के बीच घोर युद्ध हुआ जिसके बाद शक्ति बाण लगने के कारण लक्ष्मण मूर्छित हो गए और उनके उपचार के लिए हनुमान जी द्वारा संजीवनी बूटी लाई गई।
इसके बाद रावण ने कुंभकरण को युद्ध करने के लिए भेजा जिसे राम के हाथों से परम गति प्राप्त हुई। लक्ष्मण ने फिर से मेघनाथ के साथ युद्ध किया और उसका वध कर दिया। राम और रावण के बीच घनघोर युद्ध हुआ जिसमें रावण राम के हाथों मारा गया। राम ने लंका का राज्य विभीषण को सौंप दिया और सीता और भाई लक्ष्मण के साथ पुष्पक विमान में चढ़कर अयोध्या के लिए प्रस्थान किया।
- उत्तरकांड
उत्तर कांड में राम कथा का उपसंहार है। इसमें बताया गया है कि राम के अयोध्या वापस पहुंचने पर उनका भव्य स्वागत किया गया। वेदों और शिव की स्तुति के साथ राम का राज्य अभिषेक किया गया। चारों भाइयों के दो दो पुत्र हो गए।
आदि कवि वाल्मीकि ने रामायण में रावण और हनुमान के जन्म की कथा, सीता माता का निर्वासन, राजधानी में राजा ययाति, राम राज्य में कुत्ते का न्याय की उपकथाएं, लव कुश का जन्म, राम के द्वारा किए गए अश्वमेध यज्ञ का अनुष्ठान, उसे यज्ञ मे राम के पुत्र लव और कुश के द्वारा महाकवि वाल्मीकि द्वारा रची गई रामायण का गायन करना, लक्ष्मण का परित्याग, सीता का रसातल प्रवेश इत्यादि का वर्णन किया गया है।
वाल्मीकि के द्वारा लिखी गई रामायण में उत्तर कांड का समापन राम के महाप्रायण के बाद ही हुआ है।
निष्कर्ष :-
दोस्तों, इस लेख के माध्यम से आपने जाना कि Ramayan ke lekhak kaun hai ? हम उम्मीद करते हैं, कि हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। इस लेख को शेयर करके इस जानकारी को अन्य लोगों तक भी जरूर पहुंचाएं।
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FAQ’s :-
Q1. रामायण के असली लेखक कौन है ?
Ans. रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि है।
Q2. रामायण का पुराना नाम क्या है ?
Ans. वाल्मीकि द्वारा लिखी गई रामायण का नाम रामायण ही है और तुलसीदास द्वारा लिखी गई रामायण का नाम रामचरितमानस है।
Q3. रामायण किसने और कब लिखी थी ?
Ans. रामायण 3000 साल पहले महर्षि वाल्मीकि द्वारा संस्कृत में लिखी गई थी।
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