Maha Mrityunjaya Mantra in Hindi :- हिंदी पौराणिक कथाओं में भगवान शिव के कई रूपों का विस्तार से वर्णन किया गया है, इन्हीं में से भगवान शिव का एक स्वरूप है ‘महामृत्युंजय’। इस रूप में भगवान शिव अपने हाथों में अमृत लिए हैं और साथ ही अपने सभी भक्तों की रक्षा कर रहे है।
ऐसे में महामृत्युंजय मंत्र का जाप उनके भक्त अपने वरदानों की प्राप्ति के लिए करते हैं। लेकिन महामृत्युंजय मंत्र क्या है ( Maha Mrityunjaya Mantra in Hindi ) और महामृत्युंजय मंत्र जपने से क्या लाभ होता है, इसके बारे में हम नीचे विस्तार से चर्चा करेंगे। तो चलिए फिर बिना देर किए लेख को शुरू करते हैं.
महामृत्युंजय मंत्र क्या होता है ? – Maha Mrityunjaya Mantra in Hindi
हिंदू धर्म के अनुसार महामृत्युंजय मंत्र एक सर्व शक्तिशाली मंत्र है, जो भगवान शिव यानी त्रयंबकेश्वर की स्तुति करता है। महामृत्युंजय मंत्र को हिंदू समाज में कई अलग-अलग नाम और स्वरूपों से जाना जाता है। जी हां इसे रूद्र मंत्र के नाम से भी जाना जाता है और तो और इसे त्र्यंबकेश्वर मंत्र भी कहा जाता है।
यहां रूद्र मंत्र में रुद्र शब्द का मतलब होता है ‘भगवान त्र्यंबकेश्वर’ यानी कि भगवान शिव जो कि भगवान शिव का एक उग्र स्वरूप होता है। यदि महामृत्युंजय शब्द के बारे में बात की जाए तो यह तीन अलग-अलग शब्दों के जुड़ने से इस शब्द की उत्पत्ति हुई है, जिसमें ‘महा’ का मतलब होता है ‘महान’, ‘मृत्युंजय’ का मतलब होता है ‘मृत्यु’ और ‘जया’ का मतलब होता है ‘विजय’ अर्थात मृत्यु पर विजय प्राप्त करना।
महामृत्युंजय मंत्र का उल्लेख प्राचीन हिंदू पाठ यानी ऋग्वेद और यजुर्वेद दोनों में ही देखने को मिलता है, जो कि भगवान शिव के लिए समर्पित है। यहां तक की शिव पुराण में भी इस मंत्र की महिमा का वर्णन किया गया है।
हिंदू मान्यता के अनुसार त्र्यंबकम मंत्र सबसे शक्तिशाली मंत्र है जहां भगवान शिव के तीनों आंखों का वर्णन किया गया है ऐसी कहा जाता है कि भगवान शिव की तीन आंखें होती हैं, जिसमें एक आंख पराया बंद परंतु जिस दिन शिव जी की तीसरी आंख खुलेगी उसे दिन पूरे संसार में प्रलय आ जाएगा और यह बात हिंदू धर्म के पुराणों में वर्णन किया गया है.
महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ क्या है ?
भगवान शिव की आराधना हेतु सर्व शक्तिशाली मंत्र यानी महामृत्युंजय मंत्र का जाप हिंदू समुदाय के लोग अक्सर स्वस्थ, दीर्घायु और मोक्ष की प्राप्ति के लिए करते हैं। सरल शब्दों में महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ समझे तो ऐसा कहा जाता हैं,
‘हम सर्वशक्तिमान और सबसे प्रमुख देवता त्रयंबकेश्वर यानि भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं, जो सभी प्राणियों और जीवों को पोषण प्रदान करते हैं। उन्हीं की प्रार्थना व आराधना करते हुए हम उनसे अपनी स्वस्थ जीवन और मृत्यु से मोक्ष की प्राप्ति के लिए अपने हृदय के कोने-कोने से प्रार्थना करते हैं।
महामृत्युंजय मंत्र का शाब्दिक अर्थ
- ॐ (ओम) – ब्रह्माण्ड का मूल मंत्र
- हौं – भगवान शिव का स्वरूप
- जूं – भगवान शिव की शक्ति
- सः – भगवान शिव की चेतना
- ॐ – ब्रह्माण्ड का मूल मंत्र
- भूर्भुवः स्वः – तीन लोकों का नमस्कार
- त्र्यम्बकं यजामहे – तीन नेत्रों वाले भगवान शिव की हम पूजा करते हैं
- सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् – सुगंधित और पुष्टि प्रदान करने वाले
- उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय – जैसे फल शाखा से मुक्त हो जाता है वैसे ही मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाओ यह वाक्यांश मृत्यु के भाई से मुक्ति और मोक्ष प्राप्त करने की प्रार्थना करता है।
- मामृतात् – मृत्यु से अर्थात मृत्यु के भाई से मुक्ति प्राप्त करना प्रोग्राम
- ॐ स्वः भुवः भूः – तीन लोकों का नमस्कार
- सः जूं हौं ॐ – ब्रह्माण्ड का मूल मंत्र
महामृत्युंजय मंत्र जपने से क्या लाभ होता है ?
महामृत्युंजय मंत्र का जाप भक्तजन मृत्यु पर विजय प्राप्त करने के लिए भगवान शिव की साधना करते हैं। इस मंत्र की शक्ति इतनी अधिक है, कि यह कोई भी मृत व्यक्ति को जीवन दान प्राप्त कर सकता है।
यही वजह है, कि महामृत्युंजय मंत्र को संजीवनी मंत्र या जीवन देने वाला मंत्र के नाम से भी जाना जाता है। श्रद्धा पूर्ण यदि इस मंत्र का जाप किया जाए तो गंभीर से गंभीर बीमारियों से भी छुटकारा पाया जा सकता है।
वैसे तो महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से विभिन्न लाभ प्राप्त होते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख चमत्कारों या लाभों के बारे में हम नीचे बात कर रहे हैं। जैसे की –
- महामृत्युंजय मंत्र में उपचार करने की शक्ति पाई जाती है। यही वजह है, कि महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से रोग मुक्ति और लंबी आयु प्राप्त होती है।
- पुरानो के अनुसार यदि 108 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाए, तो इसे गंभीर से गंभीर समस्या और रोगों से मुक्ति प्राप्त हो सकती है।
- श्रद्धा पूर्ण महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने पर अकाल मृत्यु, लंबे समय से पीड़ित रोगों की समस्याएं तथा बुरी आत्माओं से छुटकारा पाया जा सकता है।
- महामृत्युंजय मंत्र एक सुरक्षा कवच की तरह अपने भक्तों को मृत्यु के भय से दूर करता है तथा बुरी आत्माओं से रक्षा करता है और उन्हें साहस प्रदान करता है।
- स्पष्ट और तेज आवाज के साथ महामृत्युंजय मंत्र का उच्चारण करने पर आसपास सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव निर्मित होता है तथा सभी नकारात्मक ऊर्जा का विनाश होता है और आसपास का वातावरण सकारात्मक और उल्लास पूर्ण से भर जाता है।
- पूरी विधि विधान और श्रद्धा के साथ जब भक्तगण महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हैं तो उन्हें भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनकी सभी इच्छाएं और आकांक्षाएं पूर्ण होती हैं।
- हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार महामृत्युंजय मंत्र के जाप की कई अनगिनत चमत्कार की कहानी हिंदू पुराणों में दर्ज है। जिनमे मरे हुए व्यक्ति को जिंदा करना और सदा अमर रहने का वरदान प्राप्त होना शामिल है।
- इस मंत्र का जाप करने पर सभी तरह की समस्याओं, दुखों, ग्रह दोष और तनाव से छुटकारा प्राप्त होता है।
- त्रयंबकेश्वर ज्योतिलिंग में 108 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने पर घृणा, क्रोध, अहंकार, लालच और ईर्ष्या जैसे दुश्मन ऑन से लड़ने और विजय प्राप्त करने का साहस प्रदान होता है।
- किसी लंबी यात्रा या कष्ट पूर्ण यात्रा के समय महामृत्युंजय मंत्र का उच्चारण करने पर सुरक्षा प्राप्त होती है। ताकि रास्ते में आने वाले कष्टों से बचाए रख सके।
- पुराने के अनुसार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने ध्यान लगाने पर भक्तगण पुनर्जन्म के दुष्ट चक्र से मोक्ष प्राप्त कर सकता है यानी की इस मंत्र में इतनी शक्ति है कि जन्म के बाद मृत्यु और फिर जन्म जैसी प्रक्रिया से छुटकारा पाया जा सकता है।
- ऐसा कहा जाता है कि प्रातः काल 4:00 यानी की ब्रह्म मुहूर्त के समय यदि महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाए या उच्चारण किया जाए तो घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रकट होती है और दिन की शुरुआत सुखमय होता है।
महामृत्युंजय मंत्र ( Maha Mrityunjaya Mantra in Hindi )
ॐ हौं जूं सः
ॐ भूर्भुवः स्वः
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे
सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान्
मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
ॐ स्वः भुवः भूः
ॐ सः जूं हौं ॐ
महामृत्युंजय मंत्र का छोटा रूप
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे
सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान्
मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
महामृत्युंजय मंत्र का जाप कब करें ?
सर्व शक्तिशाली मंत्र यानी महामृत्युंजय मंत्र का जाप कोई भी व्यक्ति किसी भी समय कर सकता है। लेकिन हिंदु पौराणिक कथाओं और हिंदू धर्म के पुरोहितों का यह मानना है कि महामृत्युंजय मंत्र का जाप प्रातः काल यानी ब्रह्म मुहूर्त के समय त्रयंबकेश्वर मंदिर में ही करना उचित है।
त्रयंबकेश्वर मंदिर हिंदू समाज का सबसे पवित्र स्थान है जो की नासिक में स्थित है। त्रयंबकेश्वर मंदिर को भगवन शिव के 12 ज्योतिर्लिंग के एक स्वरूप के रूप में जाना जाता है।
यहां सभी अनुष्ठानों को धार्मिक रूप से संपन्न किया जाता है। त्रयंबकेश्वर मंदिर के तीन मुख्य है, जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु और शिव का रूप माना जाता है।
महामृत्युंजय जाप कैसे की जाती है ? ( महामृत्युंजय जाप करने की विधि )
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से पहले शरीर को शुद्धिकरण करना अनिवार्य होता है। इसलिए ब्रह्म मुहूर्त से पहले स्नान करके साफ सुथरा वस्त्र धारण करना जरूरी होता है।
वस्त्र धारण करने के बाद आचमन करें और फिर पूर्व की ओर मुख करते हुए प्राणायाम करें और फिर ध्यान केंद्रित करने हेतु आसन पर बैठ जाए और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना शुरू करें।
पुरोहितों के अनुसार महामृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष माला पर करना अधिक उचित माना जाता है। विशेष तौर पर त्रयंबकेश्वर मंत्र का जब 108 बार करना अधिक उत्तम माना जाता है, क्योंकि 108 बार जाप करने से शक्ति में वृद्धि होती है।
पुरोहितों का यह भी कहना है, कि इस मंत्र का जाप खाली पेट ही करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से अधिक लाभ मिलने की संभावना होती है। हालांकि जाप आप अकेले या पूरे ग्रुप के साथ भी कर सकते हैं।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय रखे सावधानि
महामृत्युंजय मंत्र सबसे शक्तिशाली मंत्र है और इसे उच्चारण करते समय कुछ बातों को ध्यान में रखना अनिवार्य होता है। जैसे की –
- महामृत्युंजय मंत्र का जाप एक निर्धारित संख्या के आधार पर ही करे। हालांकि समय के साथ यह संख्या बढ़ा भी सकते हैं।
- महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय किसी पवित्र स्थान पर ही बैठे और जाप के दौरान अपने सामने शिव जी की मूर्ति या तस्वीर अवश्य रखें। आप चाहे तो शिवलिंग के सामने भी बैठकर जाप कर सकते हैं।
- महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय शरीर पवित्र होना चाहिए और मन में कोई गलत भावना नहीं होनी चाहिए।
- ध्यान रहे जितनी देर आप महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हैं, उतनी देर तक धूप दीप जलते रहना आवश्यक है।
- मंत्र का उच्चारण बिल्कुल सही और स्पष्ट होना आवश्यक है। यदि आप मंत्र का उच्चारण नहीं कर पा रहे हैं, सही तरीके से तो आप किसी योग्य पंडित से भी जाप करवा सकते हैं।
- ध्यान रहे महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय मुख पूर्व दिशा की ओर होना जरूरी है और किसी एक निश्चित स्थान पर ही मंत्र का जाप रोजाना करें।
FAQ’S :-
Q1. मृत्युंजय और महामृत्युंजय में क्या अंतर है ?
Ans - मृत्युंजय और महामृत्युंजय के बीच कोई विशेष अंतर नही होता है, बल्कि मृत्युंजय, महामृत्युंजय का छोटा नाम होता है।
Q2. महामृत्युंजय मंत्र कितना शक्तिशाली है ?
Ans - महामृत्युंजय मंत्र अत्यधिक शक्तिशाली मंत्र है। हिंदू मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता है, कि यह दीर्घायु प्रदान करने में मदद करता है।
Q3. क्या हम मंत्र का जब 108 से अधिक बार कर सकते हैं ?
Ans - दरअसल हिंदू धर्म और ज्योतिष विद्या के अनुसार 108 नंबर शुभ माना जाता है। इसलिए कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है, तब तक जब तक 108 बार मंत्र उच्चारण ना किया जाए।
Q4. क्या महामृत्युंजय मंत्र का जब रात के समय किया जा सकता है ?
Ans - जी हां महामृत्युंजय मंत्र का जब किसी भी समय किया जा सकता है, रात्रि में भी।
Q5. मंत्र जाप कितने बजे करना चाहिए ?
Ans - आमतौर पर मंत्र जाप किसी भी समय कर सकते हैं परंतु प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त के समय मंत्र जाप करना उत्तम माना जाता है।
निष्कर्ष :-
आज का यह लेख यहीं पर समाप्त होता है, आज के इस लेख में हमने जाना की महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ क्या है ( Maha Mrityunjaya Mantra in Hindi ), महामृत्युंजय मंत्र जपने से क्या लाभ होता है तथा महामृत्युंजय जप कैसे की जाती है ?
उम्मीद करते हैं, यहां दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित हुई होगी और यहां दी गई बातों से आपको काफी कुछ नया सीखने को मिला होगा।
लेकिन यदि आप महामृत्युंजय मंत्र से संबंधित और अधिक जानकारी चाहते हैं, तो नीचे कमेंट के माध्यम से अपने प्रश्न हमें अवश्य बताएं।
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