हरियाणा में पहली स्थायी लोक अदालत की स्थापना कब हुई ?

Haryana mein pahli sthai lok adalat ki sthapna kab hui :- दोस्तों, लोक अदालत ऐसे फॉर्म होते हैं जहां पर disputing parties के बीच समझौते के माध्यम से dispute का निपटान किया जाता है और यह लोक अदालते सामान्य न्यायालय से अलग होते हैं। इनकी स्थापना देश के हर state में की गई है।

आज के इस लेख में हम हरियाणा राज्य से की स्थाई लोक अदालत के बारे में बात करेंगे और जानेंगे कि haryana mein pahli sthai lok adalat ki sthapna kab hui ?

यदि आप भी यह जानना चाहते हैं, कि haryana mein pahli sthai lok adalat ki sthapna kab hui तो इस लेख मे दी गयी जानकारी को आखिर तक जरूर पढ़ें। तो चलिए लेख को शुरू करते हैं –


स्थाई लोक अदालत क्या है ?

स्थाई लोक अदालत सार्वजनिक उपयोगिता और सेवाओं के लिए एक innovative system है, जो कि दूसरी लोक अदालत से अलग होती है जो अक्सर समझौते के आधार पर या फिर parties के बीच समझौते के आधार पर मामलों का निर्णय करती है। स्थाई लोक अदालत के पास public utility services के लिए अतिरिक्त शक्तियां होती है।

धारा 22 सी की उपधारा 8 के अनुसार, अपराध को छोड़कर अन्य सभी प्रकार के मामलों में अगर पक्ष किसी निपटान या समझौते पर पहुंचने में सफल नही रहते हैं तो public utility services के लिए स्थाई लोक अदालत योग्यता के आधार पर dispute का फैसला कर सकती है।


हरियाणा में पहली स्थाई लोक अदालत की स्थापना कब हुई ? ( Haryana mein pahli sthai lok adalat ki sthapna kab hui ? )

हरियाणा में 7 अगस्त 1998 को पहली स्थाई लोक अदालत की स्थापना हुई थी। सार्वजनिक utilities services के लिए स्थाई लोक अदालत की अध्यक्षता श्री न्यायमूर्ति एनके कपूर के द्वारा की गयी थी।

राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन फरवरी 2020 में पहली बार किया गया था। कोरोना के समय पहली बार ई-लोक अदालत बनाई गई जिसके तहत 18 सितंबर 2020 को पहली बार ई-लोक अदालत का event किया गया था।


स्थाई लोक अदालत की स्थापना क्यों की गयी ?

लोक अदालत की स्थापना public utility services से संबंधित मामलों को सुलझाने अर्थात निपटाने के लिए की गई है। अन्य न्यायालयों में पहले चरण के मुकदमे और दूसरे चरण के मुकदमे सुनने के बाद ही किसी last decision पर पहुंचा जाता है, परंतु स्थाई लोक अदालत किसी भी बात से जुड़े मामले को समझौते से निपटने के लिए प्रयास करती है।

स्थाई लोक अदालत द्वारा public utility services के लिए लिया गया निर्णय या तो योग्यता के आधार पर या फिर समझौते के आधार पर सभी पक्षों के लिए मान्य या बाध्यकारी होता है और यह civil court का डिक्री भी माना जाता है।

Covid के समय सभी स्तरों पर न्यायालय के काम को stop कर दिया गया था जिसके कारण virtual mode पर काम करना पड़ा। लोक अदालत किसी भी extra charges के बिना मामलों के अंतिम सहमति से निपटान करने के लिए एक प्रभावी वैकल्पिक समाधान तरीका है।


स्थाई लोक अदालत स्थापित करने का उद्देश्य

इसका मुख्य उद्देश्य यह है, कि देश का कोई भी citizen financial या फिर किसी और कारण से न्याय पाने से वंचित न रह जाए। स्थाई लोक अदालत स्थापित करने का उद्देश्य विवादों को पूर्व वादक स्तर पर निपटना होता है, जिसके अंतर्गत सिविल, बैंक रिकवरी, अस्पताल, वैवाहिक आदि cases से संबंधित मामलों का निपटारा किया जाता है। हरियाणा के 33 उपमंडल और 22 जिलों में राष्ट्रीय public court का आयोजन किया गया था।


स्थाई लोक अदालत का काम

कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1997 की धारा 22b के अंतर्गत public utility services से संबंधित स्थाई लोक अदालतों की स्थापना का प्रावधान करती है। स्थाई लोक अदालत के द्वारा दी जाने वाली सार्वजनिक उपयोग की सेवाएं निम्न होती है :-

  • डाक तार या टेलीफोन सेवा
  • बीमा सेवा
  • संपदा
  • आवास
  • बैंकिंग और वित्तीय संस्थान
  • अस्पताल या औषधालय में सेवा
  • किसी प्रतिष्ठान द्वारा जनता को बिजली पानी या रोशनी की आपूर्ति
  • सड़क, वायु या जल मार्ग से यात्रियों या फिर माल की ढुलाई के लिए परिवहन सेवा
  • सार्वजनिक संरक्षण या स्वच्छता की व्यवस्था

स्थाई लोक अदालत की कुछ विशेषताएं

  • स्थाई लोक अदालत में किसी भी प्रकार की court fees व अन्य charges नहीं लगते है। यदि न्यायाय में लंबित मुकदमे में court fees जमा भी कर दी गई है तो लोक अदालत में मामले का निपटारा हो जाने के बाद वह return कर दी जाती है।
  • लोक अदालत में दोनों party जज के साथ खुद या फिर वकील के माध्यम से बात कर सकते हैं जोकि दूसरी अदालत में संभव नहीं होता।
  • किसी व्यक्ति का मामला अस्पताल, बिजली, पानी, आदि जनहित सेवाओं से संबंधित है तो वह व्यक्ति उस विवाद को निपटाने के लिए स्थाई लोक अदालत में अपील कर सकता है।
  • यदि स्थाई लोक अदालत अपने द्वारा लिए गए किसी निर्णय को खारिज करवाना चाहती है तो उसे regional न्यायपाल के पास जाना होता है।
  • लोक अदालत के द्वारा जो फैसला जारी किया जाता है वह दोनों party के लिए बाध्यकारी होता है अर्थात इसके विरुद्ध appeal नहीं कर सकते।

निष्कर्ष :- 

दोस्तों, आपने इस लेख के माध्यम से जाना कि haryana mein pahli sthai lok adalat ki sthapna kab hui. हमें उम्मीद है कि हरियाणा की स्थाई लोक अदालत से संबंधित जानकारी आपको पसंद आई होगी।

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FAQ’s :- 

Q1. प्रथम लोक अदालत कहां पर और कब स्थापित हुई थी ?

Ans. सबसे पहली लोक अदालत 1982 मे गुजरात में स्थापित की गई थी।

Q2. हरियाणा में कितनी लोक अदालत हैं ?

Ans. 15

Q3. लोक अदालत कब लागू हुआ ?

Ans. 9 नवंबर 1995

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