महिला शरीर के गुप्त अंगों के नाम – female private part name in hindi :- महिलाओं और पुरुषों में गुप्तांग या जननांग अलग-अलग होते हैं। यह प्रजनन हेतु होता है। पुरुषों तथा महिलाओं के यह गुप्तांग काफी संवेदनशील होते हैं। दोस्तों, इस लेख में आप महिला शरीर के गुप्त अंगों के नाम के बारे में जानेंगे।
ईश्वर द्वारा निर्मित मानव शरीर से ही इस दुनिया का संचालन हो रहा है। मानव हो, पशु हो, पक्षी हो या फिर कोई पेड़ पौधे हो, सभी प्रजनन क्रिया द्वारा अपने वंश को आगे बढ़ाते हैं और इसके लिए सभी के प्रजनन अंग ही कारक है। इन सभी मे से आज आप महिला शरीर के गुप्तांगों के नाम जानेंगे।
महिला शरीर के गुप्त अंगों के नाम – female private part name in hindi
- गर्भाशय
गर्भाशय की दीवार 5 सेंटीमीटर चौड़ी, 7.5 सेमी लंबी और 2.5 सेंटीमीटर मोटी होती है। इसकी आकृति नाशपाती के जैसी होती है और इसका वजन लगभग 35 ग्राम होता है जिसका नीचे का पतला भाग बाडी और ऊपर का चौड़ा भाग फंड्स कहलाता है।
महिलाओं में यह मलाशय और मूत्र की थैली के बीच में होती है। गर्भाशय का तंग भाग नीचे यानी में खुलता है और इस क्षेत्र को ओस कहते हैं। यह डेढ़ से ढाई सेंटीमीटर बड़ा तथा ठोस मांसपेशियों से बना होता है।
जब महिला गर्भ धारण करती है तो इसकी दीवारें पतली हो जाती है और इसका आकार बढ़कर स्त्री की पसलियां तक पहुंच जाता है।
- डिंबग्रंथि और डिंबवाहिनी
महिला के गर्भाशय के दोनों और डिम्ब ग्रंथियां होती है। यह बादाम के आकार की होती है जो अंडों को अपनी और आकर्षित करती है। गर्भनाली गर्भाशय के ऊपरी भाग के दोनों ओर से निकलती है और दोनों तरफ कुल्हे की हड्डियों तक जाती है।
इसकी लंबाई 10 सेंटीमीटर और इसकी मोटाई लगभग 12 सेंटीमीटर तक होती है। इसका आकार कीप की तरह होता है। इनका मुख्य काम डिम्ब ग्रंथियां से निकले egg को घेर कर वाहिनियों में भेजना होता है।
डिम्ब ग्रंथियां के द्वारा वाहिनियों में भेजे गए egg आगे के भाग में जाकर रुकते हैं, जहां यह पुरुष के शुक्राणुओ के साथ मिलकर एक नए जीवन का निर्माण करते हैं।
- शुक्राणु की यात्रा
पुरुष के शुक्राणु स्त्री के गर्भाशय में लगभग 400 करोड़ की मात्रा में प्रवेश करते हैं और उनकी यात्रा लगभग 23 सेंटीमीटर लंबी होती है।
पुरुषों के वीर्य में मौजूद सेमिनल वेसाइकल द्रव ही इन शुक्राणुओं को जीवित रहने में सहायता करता है। पुरुषों का वीर्य लगभग 15 मिनट में पानी में बदल जाता है। योनि का वातावरण एसिडिक होता है और ऐसे वातावरण में पुरुष के शुक्राणु जीवित नहीं रह पाते।
केवल 8 से 10% शुक्राणु ही सारे वातावरण को पार करते हुए जो आखिरी किनारे पर जाकर एंड से मिलते हैं उन्हीं के द्वारा बच्चा बनने की प्रक्रिया शुरू होती है।
- मासिक स्त्राव
एक उम्र के बाद स्त्रियों में महावारी आना शुरू हो जाता है। यह महावारी कब आएगी यह पारिवारिक वातावरण, देश और मौसम पर निर्भर करता है। जैसे गर्म इलाकों में रहने वाली लड़कियों में यह पीरियड्स 10 से 12 साल की उम्र में शुरू हो जाता है जबकि ठंडे इलाकों में रहने वाले लड़कियों को यह पीरियड 12 या 15 साल की उम्र तक आते हैं।
स्त्रियों में अंडेदानी में 10 से 14 साल की उम्र में हारमोंस निकलना शुरू हो जाता है जिसके कारण फीमेल के स्तनों का आकार बढ़ने लगता है और उनका विकास होता है।
18 साल की आयु तक फीमेल का शरीर पूरी तरह से विकसित हो जाता है। इसके बाद गर्भाशय में बच्चेदानी का बनना और बढ़ना, जननांगों का विकास, नालियों का बढ़ना हर महीने पीरियड्स आना, चर्बी का जमाव, शरीर का कठिला होना इत्यादि इसकी प्रमुख पहचान बन जाती है।
- हड्डियों की बनावट
स्त्रियों के शरीर में हड्डियों की रचना प्रकृति ने इस प्रकार से की है कि वह बच्चे को आसानी से जन्म दे सके। स्त्रियों के कूल्हे की हड्डियां पुरुषों के कूल्हे की हड्डियों की तुलना में अधिक स्थान रखती है। इसका आकार सेब की तरह होता है तथा पुरुषों की कूल्हे की हड्डियों का आकार दिल की तरह होता है।
- बच्चों के जन्म का रास्ता
बच्चों को जन्म देने का रास्ता कुल्हे की हड्डियों के ऊपर की सतह से नीचे की सतह तक का होता है। यह पीछे की ओर चौड़ा और आगे की तरफ छोटा होता है। प्रकृति ने इस तरह से महिला के शरीर को बनाकर बच्चों को आसानी से जन्म देने में सहायता की है। नहीं तो बच्चा जन्म लेते ही सीधे नीचे की ओर गिर सकता है।
- कूल्हे के नीचे का भाग
कूल्हे के नीचे का हिस्सा मांसपेशियों और तंतुओं से मिलकर बना होता है। कुल्हे का निचला भाग स्क्रैम हड्डी से प्युबिक सिमफाइसिस तक होता है। इसमें मूत्र द्वार, जनन द्वार और मल द्वारा जाकर खुलता है। यह पेट के सभी अंगों को नियंत्रित करता है और छींक या खांसी आने पर मांसपेशियां को पेट से नीचे गिरने से बचाता है।
- मुलाधार
महिलाओं के दोनों टांगों के बीच के त्रिकोण भाग को पैरानियम या मूलाधार कहते हैं। यह जनन द्वारा के पीछे और मलद्वार के आगे होती है। यहां पर कूल्हे के नीचे बाहर की सारी मांसपेशियां आपस में मिलती है। किसी महिला में यह शक्तिशाली तो किसी में कमजोर हो सकती है।
बच्चों के जन्म के समय बच्चों के जन्म लेने के लिए अधिक चिर फाड़ ना करनी पड़े, उसके लिए इस स्थान को काटकर चौड़ा बनाया जाता है और प्रसव के बाद इसी जगह पर टाँके किया जाता है।
- क्लीटोरिस
यह महिलाओं के जननांग का एक भाग होता है। इसे फीमेल पेनिस भी कहा जाता है। महिलाओं मे चरम सुख तक ले जाने के लिए इस जनन भाग का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इसे जी स्पॉट के नाम से भी जानते हैं।
इस फीमेल पेनिस इसलिए कहा जाता है क्योंकि पुरुषों के पेनिस की बनावट भी लगभग ऐसे ही होती है। उत्तेजना के दौरान जैसे male के जननांग में बदलाव आता हैं उसी प्रकार से फीमेल पेनिस में भी बदलाव आता है।
निष्कर्ष :-
दोस्तों, इस लेख के माध्यम से आपने महिला शरीर के गुप्त अंगों के नाम ( female private part name in hindi ) के बारे में जाना है। हम उम्मीद करते हैं कि इस लेख में दी गई जानकारी आपके लिए मददगार साबित होंगी और आप महिला शरीर के गुप्तांगों की बनावट और उसकी कार्य प्रणाली के बारे में भी समझ गए होंगे।
अगर आप मानव शरीर से संबंधित कोई और जानकारी चाहते हैं तो उसके लिए नीचे कमेंट करके जरूर बताएं। हम आपके द्वारा सुझाए गए विषय पर जल्द लेख प्रस्तुत करेंगे। दिए गए लेख से संबंधित कोई भी सुझाव या सवाल आपके मन में है तो हमें कमेंट सेक्शन के माध्यम से पूछ सकते हैं।
FAQ’s :-
Q1. स्त्री के गुप्तांग को क्या कहते हैं ?
Ans. स्त्री के गुप्तांग को भागशेफ या भग्नासा कहते हैं।
Q2. महिला शरीर के गुप्तांगों के नाम बताएं ?
Ans. महिला शरीर के गुप्तांगों के नाम और उनका वर्णन ऊपर के लेख में दिया गया है। कृपया ऊपर दिए की जानकारी को पढ़ें।
Q3. स्त्री के संवेदनशील अंक कौन–कौन से होते हैं ?
Ans. एक महिला के शरीर में सबसे संवेदनशील अंग यौनि होता है। यह अंग महिला के जीवन में विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जैसे गर्भ धारण करना, बच्चों को जन्म देना, यौन क्रियाएं करना आदि।
Q4. महिलाओं में मासिक धर्म कब से शुरू होता है ?
Ans. महिलाओं में मासिक धर्म कब से शुरू होगा यह पारिवारिक माहौल, देश और मौसम पर निर्भर करता है। गर्म इलाके में रहने वाली लड़कियों को 10 से 12 साल की उम्र में पीरियड्स हो जाते हैं, वहीं ठंडे इलाके में रहने वाली लड़कियों को 13 से 14 साल की उम्र में पीरियड होते हैं।
Q5. महिलाओं के शरीर का आकार अलग–अलग क्यों होता है ?
Ans. हर महिला का शरीर वास को अलग-अलग तरीके से जमा करता है। कई मामलों में, शरीर में वसा सही रूप से वितरित नहीं होती। कुछ लोगों के शरीर के मध्य भाग में वसा जमा होती है तो कुछ लोगों के पैरों, बाहों या जांघों में वसा जम जाती है और इसी के वजह से शरीर का आकार अलग अलग होता है।
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